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History of ashok samrat in hindi pdf

अशोक के अभिलेख | Ashok Ke Abhilekh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भझ का 'अभिडेख, है । जिस चड्टानपरं यह उत्की्ण है उसको स्थानीय लोगें, अशरगुण्ड (अंक्रशिला) कहते हैं । यद एक खुरदरी चड्टानगर खुश हे जो दाहिंनो ओ! झुक हुई हैं। इसमें टेढ़ी-मेढ़ी १३ पंक्तियाँ हैं । इसका माप १५ ६१2६ ११ ६” है । छठवीं और सातवीं पंक्तियोंके प्रारम्मके लगभग आधे दर्जन अक्षर भग्न हैं। ..

, ८ बिके, के ८. सिद्धपुर ठघु शिखा, अभिठेख की .. 'मैसूर राज्यके तीन लयु शिला अभिडेजोंमें दूसरा सिद्धपुरका -अभिडेल है जो ्रह्मगिरिके पश्चिम एक मीछको दूरीपर श्थित 'पहाड़ीपर है 1 इस क्षेत्रके लोग इस पहाड़ीकों येन मन तिम्मव्यन गुण्डछ (सहिष-समूह-शिलम) कहते हैं । इसका माप १३ ८” 2६८ ०” है । इसमें २२ पंक्तियाँ हैं । इस अभिलेखका अधिकांश घिस 'गया है । हे इ दर ; ९.

जटिंग -रामेश्वर लघु शिला अभिलेख 4 इस अभिलेख-समूहका तीसरा अभिठेख जटिंग रामेश्वर पहाड़ीकी पश्चिमी चोटीपर स्थित है 1 यह ब्रसगिरिके पश्चिमोत्तर छगभग तीन मौलकी दूरोपर्‌ है । यह 'ाइआ आधारबत्‌ चद्टानके तलपर उत्कीर्ण है, जिसका मुँह पूर्वोत्ततकी ओर है । यहींसे जटिंग रामे्वर मन्दिरमें जानेकी सीढ़ियाँ ठीक सामनेकी ओरसे प्रारम्भ होती हैं । उत्सवके दिनोंमें इस शिलाकी छायामें बैठकर चूड़िहार चूड़ियाँ वेंचते हैं। इसलिए स्थानीय ठोग इसे व्टेगार-गुण्ड, (चूड़िहार-दिला) कहते हैं । बरावरकी रगड़से यह अभिलेख इतना घिस गया है कि यह बतलाना कठिन है कि यह कहाँसे प्रारम्भ दोता है और कहाँ समास होता है । फिर भी जहाँतक देखना सम्भव है इसमें २८ पंक्तियाँ दिखायी पड़ती हैं जिनका विस्तार १७ ६९५९ ६' ६” है । बायें हादियामें एक पंक्ति उत्कीर्ण है जो पंक्तियांकी दिदाकी ओर संकेत करती है । पंक्तियाँ समानान्तर न होकर टेढ़ी-मेढ़ी हैं । .

मैसूरके तीनों लघु दिला अभिलेखॉंका प्रस्तर-मुद्रण श्री राइस महोदयने १८८२ ई० में तैयार किया था और इसके आधारपर इसका समप्पादन किया | इसके पश्चात्‌ श्री सेनाने इनका लिप्यन्तर और भाषान्तर किया. (ज. ए. सो. ८. १९. ए० ४७२-)। तदन्तर डॉ० व्यूलरने कुछ विस्तारके साथ उनका सम्पादन किया (वियना ओरियण्टल जरनल, भाग ७ ए० ५७ एपि० इंडिका भाग ३ प० ३ ३४-) | एपिग्राफिया कर्नाटिका भाग २ में इनका जो प्रतिचित्र और लिप्यन्तर प्रकाशित हुआ उसका आधार लेकर हुद्त्जने इनका सम्पादन, छिप्पन्तर तथा भाषान्तर किया (कार्पस इंस्क्रिदानम इण्डिकेम भाग १ : अद्योकन इंस्क्रिद्नन्स) । १०, एरंगुडि ठघु शिला अभिठेख (इसके अनुसन्धान और भौगोलिक स्थितिके लिए.

हेद्रावाद आ्केलॉजिकर सिरीज नम्बर १: दि न्यू अशोकन एडिक्स ऑफ मास्की १५१५ |